20 साल का जवान लड़का बाजार जा रहा था। आज उस के जीवन की पहली कमाई यानी कि उसकी पहली सैलरी आई थी। अपनी पहली पहली कमाई से वो अपनी मां के लिए चप्पल खरीदना चाहता था।
बाजार में एक अच्छी सी चप्पल की दुकान देखकर वो उसके अंदर गया। दुकान वाले से कहा,” सेठ जी लेडीज के लिए एक जोड़ अच्छी सी चप्पल दिखाइए।”
दुकान वाले ने लड़के को चप्पल का नाप पूछा। लड़के ने कहा,” उसे पैरों का नाम तो नहीं पता लेकिन उसके पास उसके मां के पैरों की एक आकृति है! और पूछा कि क्या वह इस आकृति को देखकर उसके हिसाब से सही चप्पल की जोड़ दे सकते हैं या नहीं?”
दुकान वाला लड़के की बात सुनकर आश्चर्य चकित था। दुकान वाले ने कहा किजेड” हमने कभी भी इस तरह आकृति के हिसाब से चप्पल नहीं बेची है और भला कोई आकृति दिखाकर चप्पल क्यों खरीदेगा? तुम खुद अपनी मां को यहां लेकर उनके पैरों का नाप क्यों नहीं दे देते?”
लड़के ने कहा,” वह शहर में रहता है और उसकी मां बहुत दूर गांव में। उसकी मां ने जीवन में कभी चप्पले नहीं पहनी है फिर भी उसने बहुत मेहनत करके मुझे पढ़ाया लिखाया और इस काबिल बनाया कि मैं अच्छी नौकरी कर सकूं।
मैं जब घर से नोकरी के लिए निकला था तब मैंने ये तय कर लिया था की अपनी पहली तनख्वाह से सबसे पहले मां के लिए चप्पल लूंगा इसलिए उनके पैरों की आकृति इस पेपर में बना ली थी।”
लड़के ने एक सफेद कागज में बनी पैरों की आकृति दुकान वाले को दिखाते हुए कहा।
लड़के की बातें सुनकर दुकान वाले की आंखों में पानी आ गया। उसने अपने तजुर्बे के हिसाब से आकृति को देखकर योग्य माप की चप्पल उस लड़के को दी। दुकान वाले ने एक और चप्पल उसी माप की उस लड़के को देते हुए कहा कि अगर मां की चप्पले टूट जाए तो यह दूसरी चप्पले दूसरे बेटे की तरफ से उन्हें दे देना। लड़का भावुक हो गया और उसने चप्पल के पैसे चुकाए और चप्पल के दोनों जोड़ ले कर जाने लगा।
तभी पीछे से दुकानदार ने लड़के को रोकते हुए पूछा कि क्या वह पेपर में बनी पैरों की आकृति ऊसे दे सकता है? लड़के ने दुकानदार को अपनी मां के पैरों की आकृति बनी वह पेपर दिया और वहां से चला गया। दुकानदार ने चित्र को अपने दुकान में बने देवघर में रख दिया!
दुकान में काम करने वाले कर्मचारी ये देख कर हैरान थे। उन्होंने दुकानदार से पूछा,” उन्होंने किसी महिला की पैरों की आकृति को भगवान के मंदिर में क्यों रखा?” दुकानदार ने कहा,”यह किसी साधारण महिला के पैरो की आकृति नहीं है। यह एक बहुत ही महान मां के पैरों की आकृति है! जिसने इस लड़के का इतने अच्छे संस्कारों से पालन पोषण किया है। इस लड़के की तरक्की को कोई नहीं रोक सकता और मुझे भरोसा है कि इन पैरों की कृपा की वजह से हमारी दुकान भी हमेशा हरी भरी रहेगी और दुकान अच्छी चलेगी!!
दुनिया में मां हर किसी की होती है। बिना मां के जीवन संभव नहीं है लेकिन बहुत कम खुशनसीब लोग होते हैं जो मां का महत्व समझते हैं और उन्हें हमेशा खुश रखने का प्रयत्न करते हैं।