यह कहानी 800 साल पहले की है। एक महिला को शादी के 12 साल हो गए थे लेकिन उसे संतान सुख नहीं मिला था। बच्चे को पाने के लिए उस महिला ने न जाने क्या-क्या उपाय किए थे। डॉक्टरों के पास गई थी, बाबा – भक्तों के पास गई थी। जिस ने जिस मंदिर, जिस मस्जिद, गुरुद्वारा या चर्च में जाने के लिए कहा उस हर जगह गई थी। जिस भगवान का नाम लेने के लिए कहा उस भगवान का नाम लिया था और जितने उपाय या उपवास करने के लिए कहे सब कीये।
कहते हैं ना कि अगर दिल से और तन मन धन से कोई चीज चाहो तो मिल ही जाती है! इस महिला को भी उसकी तपस्या का वरदान उसके बेटे के रूप में मिल ही गया। 9 सालों की दुख, दर्द और पीड़ा अपने बेटे का चेहरा देखते ही सुख, खुशी और संतुष्टि में बदल गया!
लेकिन अभी शायद उसकी तपस्या बाकी थी, शायद भगवान को अभी उसकी और परीक्षा लेनी थी! जब उसका बच्चा 2 वर्ष का हुआ तो एक दूसरी महिला ने उसका बच्चा चुरा लिया! सोचिए उस मां की मनस्थिति क्या होगी जिसने दुनिया में सबसे ज्यादा जिस बच्चे के लिए अपनी जिंदगी जी थी उससे उसका बच्चा ही छीन गया! उसे ऐसा लगा जैसे किसी ने उसका बच्चा नहीं उसके शरीर से उसकी आत्मा ही चुरा लि हो।
उस दिन से उस मां का जैसे खाना, पीना, सोना सब छूट गया था। उसे ना भूख लगती, ना प्यास लगती, ना नींद आती। हार मान जाए वह मां कैसी… अपने बच्चे को ढूंढने में उसने जमीन आसमान एक कर दिया।
और आखिरकार उसने अपने बच्चे का पता लगा ही लिया। वह पहुंच गई उस चोर महिला के पास अपने बच्चे को वापस लेने के लिए।
जब बच्चे की मां ने उस चोर महिला से अपने बच्चे को वापस पाना चाहा तो वह महिला ऐसा जताने लगी जैसे वह उसका खुद का बच्चा हो! जब बच्चे की मां को लगा किसी भी तरह से बात बनती नजर नहीं आ रही है तब वो इस मुद्दे को राजा के पास लेकर गई। राजा के दरबार में दोनों महिलाएं हाजिर की गई। दोनों ही महिलाएं उस बच्चे पर अपना पूरा हक जताने लगी।
राजा और उसके सभी दरबारी काफी आश्चर्यचकित और हैरान हो गए क्योंकि बच्चे की सच्ची मां को पहचानने के लिए उन्होंने जितने भी सवाल बच्चे के बारे में दोनों ही महिलाओं से किए, जो उसकी आदतों,उसकी पसंद या उसके निशानों के बारे में थे। दोनों ही महिलाएं उसका सही सही जवाब दे रही थी।
जब इस समस्या का समाधान निकलता नजर नहीं आ रहा था तो राजा ने अपने खास और सबसे समझदार मंत्री से इसका निराकरण करने के लिए कहा।
मंत्री ने बिना 1 मिनट की देरी किए तुरंत राजा से कहा कि महाराज मुझे लगता है कि यह दोनों ही इस बच्चे की मां है! इन दोनों का ही उस बच्चे पर बराबर का हक है! अगर आपको न्याय ही करना है तो सबसे बेहतर तरीका यही होगा कि आप बच्चे के दो टुकड़े कर दीजिए और एक-एक टुकड़ा दोनों माओं को बांट दीजिए!
मंत्री की ऐसी बात सुनकर राजा के साथ-साथ दरबार में हाजिर सभी लोग उनकी तरफ आश्चर्य से देखने लगे। राजा ने सोचा कि मंत्री के ऐसी मूर्खतापूर्ण बातों के पीछे जरूर कोई रहस्य होगा। वह बिना सोचे समझे ऐसी बात कभी नहीं कर सकते। राजा ने तुरंत अपने सिपाहियों से कहा कि मंत्री की बात पर अमल किया जाए और इस बच्चे के दो टुकड़े कर दिए जाएं।
बच्चे की असली मां ने यह फैसला सुनते ही राजा के पैर पकड़ लिए और बोली महाराज मुझ पर इतना जुल्म मत कीजिए! आप चाहे तो बच्चे को उस महिला को दे दीजिए लेकिन उसके दो टुकड़े कर मत मारिए। मेरा बच्चा मेरे पास नहीं रहा तो चलेगा इस दुनिया में तो रहेगा।
मंत्री जी ने राजा से कहा महाराज यही उस बच्चे की असली मां है और जो वहां पर शांत खड़ी है वह है चोर। राजा ने तुरंत उस बच्चे को उसके असली मां को सौंपने के लिए कहा और उस चोर महिला को फांसी की सजा सुनाई।
बच्चे की असली मां को उस दूसरी महिला पर जिसने उसका बच्चा चुराया था दया आ गई क्योंकि उससे मिलने के बाद उसे यह पता चला था कि वह भी उसी परिस्थिति से गुजर रही थी जिससे वह 9 सालों से गुजरी थी। इस महिला ने अपने बांझपन के चलते अपनी गोद भरने के लिए उस बच्चे को चुराया था और चुराने के बाद भी वह उस बच्चे को अपने खुद के बेटे की तरह प्यार करती थी । बच्चे की असली मां ने दरबार में विनती कर उस महिला को माफ करने के लिए कहा!
दोस्तों, यह कहानी है हमें बताती है कि कैसे एक मां अपनी औलाद के लिए कुछ भी कर गुजरती है और यह भी सच बात है कि एक मां का दर्द दूसरे मां से ज्यादा कोई नहीं समझ सकता।