पैसा और समय, बाप-बेटे की इमोशनल कहानी

मुझे नहीं पता ऊपर वाले ने मेरे तक़दीर में क्या लिखा,

अगर पिता का प्यार नहीं लिखा तो कुछ नहीं लिखा।

🙌  🙌  🙌 

दोस्तों कई बार हम पैसे कमाने की ज़द्दोजहद में इतने ज्यादा व्यस्त हो जाते हैं कि अपने परिवार पे ध्यान नहीं देते है| मतलब हम अपने परिवार को बिलकुल समय नहीं देते |

ऐसे ही धीरे-धीरे समय हमारे हाथ से फिसलता चला जाता है और हम अपनों से दूर चले जाते है| याद रखिये ऑफिस में हमारा रिप्लेसमेंट बड़ी ही आसानी से ढूंढ लिया जायेगा. लेकिन परिवार का कोई रिप्लेसमेंट नहीं है, इसलिए अपने परिवार को महत्त्व दें.

आइये मै आपको ऐसे ही एक बाप बेटे की कहानी सुनाता हु जो आपकी आखे खोल देगी |

                                                          🙄  🙄  🙄 

शाम का समय था. ऑफिस से घर आने के बाद पिता फिर से ऑफिस की फाइल्स में उलझा हुआ था. तभी उसका ८ साल का बेटा पास आया और बोला, “पापा! क्या मैं आपसे कुछ पूछ सकता हूँ?”

“हाँ, पूछो.” फाइल से नज़र हटाये बगैर पिता ने जवाब दिया.

“आप एक घंटे में कितना कमा लेते हैं?” बेटा ने पूछा.

इस अजीब सवाल पर पिता को कुछ गुस्सा आया. उसने जवाब दिया, “तुम्हें इससे क्या मतलब? क्यों बेकार के सवाल पूछकर मेरा समय ख़राब कर रहे हो? देखते नहीं, मैं काम में बिज़ी हूँ.”

“पापा! मैं बस जानना चाहता हूँ. प्लीज बताइये ना, आप एक घंटे में कितना कमा लेते हैं?” बेटा ज़िद करने लगा.

“५०० रुपये.” पिता ने जवाब दिया और काम में लग गया.

“ओह!” बेटा सिर झुकाकर कुछ सोचने लगा. फिर सिर उठाकर बोला, “पापा! आप मुझे ३०० रुपये उधार दे सकते हैं.”

यह सुनना था कि पिता का गुस्सा बढ़ गया. वह बेटे को झिड़कते हुए बोला, “अच्छा, तो तुम इसलिए मुझसे मेरी सैलरी पूछ रहे थे. तुम्हें खिलौना या कोई फ़ालतू सी चीज़ खरीदनी है. अब एक शब्द कहे बगैर सीधे अपने कमरे में जाओ और सो जाओ. मैं इतनी मेहनत से पैसे इसलिए नहीं कमाता कि तुम्हारी हर फ़ालतू मांग पूरी कर सकूं.”

बेटे का चेहरा उतर गया. भारी क़दमों से वह वहाँ से चला गया. पिता कुछ देर तक तो बेटे की बात पर नाराज़ रहा, फिर काम में लग गया. काम खत्म होने तक उसकी नाराज़गी भी खत्म हो चुकी थी. अब उसे बेटे के प्रति अपने ख़ुद के व्यवहार पर दुःख होने लगा. वह सोचने लगा कि हो सकता है बेटे को सच में किसी ज़रूरी चीज़ के लिए ३०० रुपये की ज़रुरत हो. वो वैसे भी हर समय पैसे नहीं मांगता.

वह बेटे के कमरे में गया. देखा, बेटा बिस्तर पर लेटा हुआ था. उसने पूछा, “सो गए क्या?”

बेटा तुरंत उठकर बैठ गया और बोला, “नहीं पापा. मैं जगा हुआ हूँ.”

“बेटा, मैं काम की वजह से परेशान था और मेरा काम का गुस्सा तुम पर निकल गया. मुझे तुम पर गुस्सा नहीं करना चाहिए था. ये लो ३०० रुपये, जो उस समय तुम मुझसे मांग रहे थे.” पिता बेटे के पास बैठते हुए बोला.

“थैंक यू पापा.” बेटा चहक उठा. ३०० रुपये एक तरफ रख उसने अपने तकिये के नीचे दबे कुछ नोट निकाले और उन्हें गिनने लगा.

यह देख पिता को फिर से गुस्सा आने लगा. वह गुस्से में बोला, “जब तुम्हारे पास पहले से ही पैसे थे, तो तुम और पैसे क्यों मांग रहे थे?”

“क्योंकि मेरे पास पूरे पैसे नहीं थे पापा, अब हैं.” बेटे ने मासूमियत से जवाब दिया, “पापा ये लीजिये ५०० रुपये. क्या इससे मैं आपका १ घंटा ख़रीद सकता हूँ? प्लीज कल आप घर जल्दी आ जाना, मैं आपके साथ डिनर करना चाहता हूँ.”

बेटे की बात सुनकर पिता अवाक् रह गया.

Storybykahkashan