पति पत्नी और वो.. Educational Hindi Moral Story

पति-पत्नी का रिश्ता दुनिया में सबसे पवित्र माना गया है। पति-पत्नी के रिश्ते में दो लोग बिना कहे एक-दूसरे की भावनाओं को समझ जाते हैं। प्यार और विश्वास ही इस रिश्ते को मजबूत बनता है|

आज मै आपको ऐसे ही एक पति पत्नी के रिश्ते की कहानी सुनाउंग जिसमे प्यार तो था किन्तु बिश्वास की कमी थी.

पति अभी नहा ही रहा था की तभी फोन पर मैसेज टोन बजी। पत्नी मोबाइल के पास में ही खड़ी थी उसका ध्यान फोन की तरफ गया उसने सहज ही फोन उठाकर मैसेज पढ़ा,” Hi, Good morning sweet dear” किसी बेबी का मैसेज था।

 

पत्नी सोच में पड़ जाती है कि अब यह बेबी कौन है? तब तक पति भी नहा कर बाहर आ चुका था| पत्नी उसे किसी बेबी का मैसेज आया है बताती है। पति मुस्कुरा देता है फोन उठाकर उस मैसेज का रिप्लाई करता है hi baby, How are you?” और अपने काम में लग जाता है। पत्नी के मन में उथल पुथल चल रहा था वो इस इस रिप्लाई को भी पढ़ती है।

 

अब हर पल पत्नी के दिमाग में यही विचार कौंधता रहता है कि यह बेबी कौन है? शाम को पति घर आता है पत्नी उससे पूछती है ,”यह बेबी कौन है? पति जवाब मैं सिर्फ मुस्कुरा देता है और फिर से अपने काम में लग जाता है।

 


दो-तीन दिन बीत जाते हैं। उन विचारों ने अभी तक पत्नी का पीछा नहीं छोड़ा था और फिर से पति के मोबाइल पर फिर एक बार बेबी का मैसेज आता है,”आज तो मिलोगे कि नहीं, तुम्हारी बहुत याद आ रही है?” इस मैसेज ने आग में घी का काम किया पत्नी का शक और भी ज्यादा पक्का हो गया। बीच-बीच में ऐसे मैसेजो का आदान प्रदान होता रहता और पत्नी के मन में शक की जड़ें और गहरी होती गई। पति पूछने पर भी जवाब में सिर्फ मुस्कराहट के और कुछ नही कहता।

 

यह शक गुस्सा बन कर तब ज्वालामुखी की तरह फट पड़ता है जब एक दिन उसे अपने पति की जेब में सिनेमा की दो टिकटे मिलती है। पत्नी अपने पति से बहुत झगड़ती है। पति उसे समझाने की कोशिश करता है लेकिन वह कोई भी बात सुनने को तैयार नहीं है पति को भी उस पर गुस्सा आ जाता है और यह झगड़ा और भी ज्यादा बढ़ जाता है।

 

गुस्से में पति घर से बाहर निकल जाता है। पत्नी का गुस्सा पति से कई गुना ज्यादा है तुरंत वो अपना सारा सामान पैक करती है एक चिट्ठी लिखती है की मैं मायके जा रही हूं ,हमेशा के लिए और पति का घर छोड़कर चली जाती है।

 

गुस्सा शांत होने पर जब पति घर आता है तो चिट्ठी पढ़कर उसके होश उड़ जाते हैं। 10 दिन बीत जाते हैं और गांव के उस घर पर डोरबेल बजती है जहां पत्नी रहने चली गई है। पत्नी दरवाजा खोलती है दरवाजे पर 10 साल की एक छोटी बच्ची हाथों में चिट्ठी लिए खड़ी हैं। वह पत्नी को वह चिट्ठी देती है।

 

बच्ची से वह चिट्ठी लेकर पत्नी चिट्ठी खोलकर पड़ती है,”डिअर वाइफ, जिस ‘बेबी’ की वजह से हम दोनों में इतने झगड़े हुए और तुम हमारा घर छोड़कर यहां चली आई यह बच्ची जो अभी तुम्हारे सामने खड़ी है वह वही बेबी है।

 

अनाथ आश्रम की एक प्यारी बच्ची इसी के साथ में बातें करता था, सिनेमा जाता था। पहली बार जब तुमने बेबी के बारे में पूछा था तो मैंने जानबूझकर तुम्हें नहीं बताया था सोचा था थोड़ा मजाक करता हूं देखता हूं तुम कैसे रिएक्ट करती हो लेकिन मैंने यह कभी नहीं सोचा था कि तुम्हारा शक इतना बढ़ जाएगा कि तुम घर ही छोड़ दोगी !

 


हां सबसे जरूरी बात यह तो बेबी है वह किसी और की नहीं बल्कि तुम्हारी ही बेटी है। रुको, अपने आप को संभालो और आगे की बात ध्यान से पढ़ो।

 

हमारे शादी के 2 साल पहले की यह बात है। तुम अपने कॉलेज के लास्ट ईयर में थी। तुम्हारे प्रोफ्रेसर ने नोट्स लेने के बहाने तुम्हें बुलाया था और तुम्हें चाय में इन नशीली दवा खिलाकर ना करने वाला काम किया था। इसमें तुम्हारी कोई गलती नहीं की थी लेकिन कुदरत ने अपना काम किया और तुम्हारे पेट में इस बेबी को डाल दिया। काफी प्रयास करने पर भी अबॉर्शन नहीं हुआ तो तुम्हारे घर वालों ने समाज के दर से तुम्हें 6 महीने तक घर में ही रखा।

 

तुम्हारे पिताजी खुद एक डॉक्टर है इसलिए यह बिन मांगा बच्चा बड़ी आसानी से बिना किसी को कनोकान खबर हुए इस दुनिया में आ गई। भविष्य में तुम्हारी शादीशुदा जिंदगी में कोई प्रॉब्लम ना हो इसलिए तुम्हारे पिता ने इस बच्चे को गांव के एक अनाथ आश्रम में छोड़ दिया। यह बच्चा मतलब यहीं बेबी जो अभी तुम्हारे सामने खड़ी है।

 

अगर अभी भी विश्वास नहीं हो रहा है तो इस बच्ची के गाल का वो तिल देख लो जो शायद तुमने उसे आखरी बार रोते हुए देखा होगा या फिर अपने पिताजी से पूछ लो।

 

(पत्नी जल्दी से उस बच्ची को पास में लेकर उसके गालों का तिल देखती है। उसका मन भर आता है उसकी आंखों में आंसू आ जाते हैं लेकिन अभी भी चिट्ठी बाकी है इसलिए वह आगे पढ़ती है।

 

मुझे पता है अभी भी तुम्हारे मन में यह सवाल उठ रहा होगा की यह सब मुझे कैसे पता? तुम्हें बता दूं कि यह सब तुम्हारे खुद के पिता ने ही अपने मन में उठ रहे पश्चाताप को शांत करने के लिए शादी के 1 महीने पहले मुझसे मिलकर सारी बात मुझे बताई थी। उन्होंने यह भी कहा था कि अगर मैं चाहूं तो शादी से इंकार कर सकता हूं। मैंने तो इसलिए इस रिश्ते को स्वीकार किया क्योंकि इस पूरी घटना में तुम्हारी कोई भी गलती नहीं थी। और हमारी शादी हो गई। तुमने मुझे बहुत प्यार दिया।

 

लेकिन तुम्हारे पिता से बेबी के बारे में जानने के बाद मैं उसे मिले बिना नहीं रह पाया। मैं बीच-बीच में उससे मिलता था उससे मिलना उसके साथ समय बिताना मुझे अच्छा लगता था। कितनी प्यारी बच्ची बिना किसी गलती के क्यों सजा भुगते बस इसलिए मैं उसे थोड़ी सी खुशी देने की कोशिश करता था।

 

बस मुझे इतना ही कहना था अब अगर तुम फिर से अपने घर आकर मेरे साथ रहना चाहो तब और सिर्फ तभी गैलरी में आ जाओ तुम्हारा और सिर्फ तुम्हारा डियर पति।

 

विना एक क्षण की भी देरी के पत्नी दौड़ कर गैलरी में पहुंची और रास्ते पर उसका पति श्याम खड़ा था उसके चेहरे पर मुस्कान और पत्नी की आंखों में आंसू के पूर थे !

Storybykahkashan