आप विवाहित है या अविवाहित ये कहानी सबके लिए है | इससे आप को सबक मिलेगा की छोटी छोटी बातो पर नहीं लड़ना चाहिए | कई बार ये झगडे अलगाव के कारण बन जाते है|
तो चलिए अपने कहानी की शरुवात करते है|
पत्नी ने न जाने क्या किया था की पति ने उसे एक के बाद एक कई थप्पड़ जड़ दिए। हमेशा हर सिचुएशनको शांति से हैंडल करनेवाली पत्नी भी इस बार इतनी अशांत हो उठी की उसने अपनी चप्पल ही निकाल कर पति की ओर दे फेंकी। चप्पल पति के बालो को छूते हुए निकल गई। ये किस्सा यही पर खत्म हो सकता था मगर पति ने इसे अपनी मर्दानगी का विषय बना लिया और बात बद से बदतर होती चली गई।
रिश्तेदारों ने भी आग में घी का काम किया। किसी ने कहा जो औरत अपने पति को चप्पल से मार सकती है वो नाही तो वफादार हो सकती है और नाही पतिव्रता। ऐसी औरत परिवार ही नहीं पूरे समाज पर कलंक की तरह है। बीवी के पक्ष वाले कहा पीछे रहनेवाले थे? किसी ने कहा 21 वि सदी में भी जो स्त्री के साथ मारपीट करते है उन्हे तो जेल भेज देना चाहिए। तो कोई कहता जरूर उसको कोई और पसंद आ गई होगी इसलिए अब पत्नी से मारपीट करने लगा है।
बात कोर्ट तक पहुंच गई। दोनों पक्षों ने एकदूसरे के खिलाफ केस फाइल कर दिया। पति ने चरित्रहीन होने का तो पत्नी ने दहेज और शारीरिक उत्पीड़न का आरोप लगाया। 2 वर्षो से अधिक समय के लिए केस चला था। इन 2 वर्षो के दौरान दोनों पति पत्नी अलग अलग रहे थे।
इन दो वर्षो के दौरान दोनों पक्षों के समर्थकों की संख्या कम हो गई थी। पहले जहा दोनो पक्षों में समर्थको का समूह होता था अब गिने चुने लोग रह गए थे। पति और पत्नी दोनो की आर्थिक स्थिति भी इस समय के दौरान नीचे गिर चुकी थी। जिन्हे वो अपना शुभचिंतक समझ रहे थे पैसो की बात आते ही उन्होंने भी अपना पलड़ा झाड़ लिया था। अगर कोई देने को राजी भी हुआ तो मोटे ब्याज की शर्त पर।
आखिरकार वही हुआ जो सब चाहते थे ‘डायवोर्स ‘।
हर कोई खुश था दोनो पक्षों के रिश्तेदार,उनके माता पिता और दोनो के। वकील। लेकिन पांच साल की सुखद शादी और एक सुंदर बेटी होने के बाद मिले इस डायवोर्स से पत्नी मूक थी और पति शांत। शायद ये एक इत्तेफाक ही था की इस खुशी को मनाने के लिए दोनो पक्ष के लोग एक ही चाय की टपरी पर बैठे ,आमने सामने। इत्तेफाक इसलिए क्योंकि ज्यादातर लोग जो एक दूसरे के विरोध पक्ष को सपोर्ट कर रहे थे वे एक दूसरे को अच्छे से जानते भी नहीं थे।
पति पत्नी भी इन सभी से दूर एक दूसरे के सामने मेज पर बैठे। पत्नी ने पति से कहा “अब तो खुश होगे ना तुम्हारे मन की जो हुई है, मुबारक हो।”
“तुम भी तो आज जीत गई हो । मुझसे तलाक़ तो तुम्हे भी मिल गया है । Congratulations to you too.” पति ने कहा।
“तलाक को तुम जीत का प्रतीक समझते हो?” पत्नी ने पूछा। पति चुप रहा ।
थोड़ी देर की शांति के बाद पति ने कहा,” मुझे तुम्हे 5 लाख रूपये अभी और हर महीने 8 हजार देने का आदेश है।
अभी मेरे पास पैसे नहीं है इसलिए हमारा… मतलब मेरा जो सिटी में फ्लैट है उसे तुम्हारे नाम कर देता हूं।”
पत्नी बोली,” लेकिन उस फ्लैट की कीमत तो 18 लाख की है।”
“हा लेकिन हमारी बेटी तुम्हारे साथ है और आगे जाके उसके खर्चे भी बढ़ेंगे तुम्हे थोड़ी आसानी होगी।” पति ने कहा।
” नही नही मुझे सिर्फ 5 लाख ही देना और तुम हर महीने 8 हजार तो देने ही वाले हो,मै मैनेज कर लूंगी। अगर 5 लाख नही है तब भी कोई बात नही।” पत्नी बोली।
दोनो फिर से शांत हो गए। पति सोचने लगा कितनी भोली और समझदार है ये औरत जो कुछ समय पहले तक मेरी पत्नी थी और अब अनजान। ये वही है जो कम से कम खर्चे में घर चलाती और पैसे बचाकर मेरे जन्मदिन और बर्थडे पर हमेशा मेरे लिए नए कपड़े खरीद लाती। कभी बीमार भी हो जाती तो पैसे बचाने के लिए मुझे मालूम न होने देती और घरेलू नुस्खों से अपना इलाज कर लेती मगर घर में कोई और बीमार होता तो तुरंत डॉक्टर के पास लेकर जाति। मेरी ही मति मारी गई थी,मै ही अपनी झूठी मर्दानगी के चक्कर में इतनी बड़ी गलती कर बैठा।”
पत्नी के दिमाग में भी उथल पुथल चल रही थी,” अभी भी वैसा का वैसा ही है पहले भी खुद से ज्यादा हमारे बारे में सोचता था और अब भी वही कर रहा है। ये वही आदमी है जो मुझे एक्सिडेंट से बचाने के लिए खुद मोटर साइकिल के आगे कूद पड़ा था और अपनी उंगली तुड़वा बैठा था।पता नही कोनसी मनहूस घड़ी मे में झगड़ा कर बैठी।”
पति ने मौन तोड़ते हुए पूछा,”अब तुम्हारे कमर का दर्द कैसा है? ज्यादा तकलीफ तो नही होती?”
पत्नी हल्का सा मुस्कराई और बोली,” अभी भी होता है, अब तो पेट में भी crambs उठते है।”
“वो तो होगा ही तुम योगा या कसरत भी तो नहीं करती हो। अब किसी गायनेकोलॉजिस्ट को जरूर दिखा देना।” पति ने कहां।
” तुम बताओ , तुम्हारा अस्थमा कैसा है अब? क्या अब भी दौरे पड़ते है?” पत्नी ने पूछा।
“हा पड़ते है,पहले से ज्यादा क्योंकि अक्सर इन्हेलर भूल जाया करता हु,याद दिलाने के लिए तुम जो नही हो अब!” पति बोला।
पत्नी के आंखों में आंसू आ गए वो बोली,” तुम्हे मेरे चरित्र पर सवाल नही उठाने चाहिए थे,तो ये परिस्थिति आती ही नहीं।”
“हा मै जानता हूं , तुम बहोत अच्छी हो ,मुझसे गलती हो गई बहोत बड़ी गलती । मै लोगो के बहकावे मै आ गया था।” पति बोला।
” तुमने भी तो मुजपर दहेज का इल्जाम लगाया था” वो बोला।
“गलत था, और इस बात का मुझे भी पछतावा हुआ।” पत्नी ने कहा।
पति कुछ कहना चाह रहा था लेकिन हीचकीचा रहा था। पत्नी ने पूछा कुछ कहना चाहते हो? वो बोला,” क्या सब पहले जैसा नहीं हो सकता?”
“क्या मतलब?” पत्नी बोली।
” मतलब की हम फिर से पहले की तरह, पति पत्नी बनकर, सच्चे दोस्त बनकर नहीं रह सकते?” पति बोला।
“पर ये डायवोर्स के पेपर!” पेपर दिखाते हुए पत्नी ने कहां।
” फाड़ देते है!” पति ने अपने पास रखें डायवोर्स के पेपर फाड़ते हुए कहां।
पत्नी ने भी अपने पास रखें पेपर फाड़ दिए। सभी हैरान थे वकील ,रिश्तेदार और मां बाप। पति पत्नी दोनो एक दूसरे के हाथ में हाथ पकड़े अपने घर की तरफ चले गए।
दोस्तों हमें इस कहानी से ये सीखना चाहिए की हमें छोटी छोटी बातो पे झगड़ना नहीं चाहिए क्योकि बाद में बहुत ही पस्चताप होता है |
“बीवी के त्याग को कभी न करें नजरअंदाज, इसी से होता है प्यारे रिश्ते का आगाज।”
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