कभी-कभी हम अपने रिश्तों की परवाह नहीं करते हैं और अपनों को दूर कर देते है| और फिर एक बार जब हम उनसे दूर हो जाते हैं, तो हमें एहसास होने लगता है कि वे हमारे जीवन में कितने महत्वपूर्ण हैं।
आइये मै आपको एक ऐसे ही रिश्ते की कहानी सुनाती हूँ|
राज आज दफ्तर से दोपहर में ही आ गया। पत्नी ने देखा कि राज बहुत परेशान लग रहा है तो तुरंत ही पूछ लिया,
क्या हुआ जी? आप ठीक तो हैं ना?
राज ने कहा: हाँ मैं तो ठीक हूँ लेकिन…….
लेकिन क्या? राज की पत्नी निधि ने कहा|
राज के माथे पर चिंता की लकीरें दौड़ रहीं थीं और उन्हीं लकीरों पर पसीने की बूँदें ऐसे तैर रहीं थीं मानों कुछ लिख कर बयान करना चाहती हों।
निधि ने कहा:- “आप कुछ बोलते ह्यों नहीं”
लेकिन राज अभी भी जवाब देने की हालत में नहीं लग रहा था। फिर भी उसने हिम्मत कर के बताने की कोशिश की, “तुम्हारे पापा का फ़ोन आया था…..”
“सब ठीक तो है ना?” बीच में टोकते हुए उसकी पत्नी बोली।
राज ने कहा:- “हाँ सब……सब ठीक है। बस वो कह रहे थे कि केतन का उनसे झगड़ा हो गया है और वो उनसे अलग होकर रहना चाहता है।”
“केतन का तो दिमाग ख़राब हो गया है। अभी शादी को चार दिन भी न हुए और माँ-बाप से अलग होने की बात कर रहा है।” गुस्से में निधि बोली।
उसे शांत करने के लिए राज ने उसे समझाने की कोशिश की और कहा, हो सकता है केतन सही हो। तुम्हारे माता-पिता ने ही कुछ गलत किया हो।
निधि बोली:- आप भी! क्या बात कर रहे हैं? मैं बचपन से जानती हूँ अपने माँ-बाप को। वो गलत नहीं हो सकते। जिन्होंने मुझे पाल-पोस कर इतना बड़ा किया। क्या तुम्हें लगता है वो गलत हो सकते हैं।
राज ने कहा:- लेकिन हम इसमें क्या कर सकते हैं|
निधि बोली:- मुझे अभी जाना है केतन के पास। उस से पूछूँगी मैं कि उसकी ऐसा करने की हिम्मत कैसे हुयी|
राज ने कहा:- लेकिन क्या इस समय जाना सही होगा|
निधि ने कहा:- ये सब मैं नहीं जानती। मुझे जाना है तो जाना है बस।
इस स्थिति में राज निधि को किसी भी तरह नहीं रोक सकता था। इसलिए उसने उसके साथ जाना ही ठीक समझा।
निधि और राज की शादी को 8 महीने हो चले थे। केतन निधि का भाई था। उसकी शादी को अभी 3 ही महीने हुए थे।
निधि अपने मायके पहुंची। अभी राज कार में से उतर ही रहा था। इतनी देर में तो निधि दरवाजे से घर के अन्दर भी दखिल हो गयी।
ड्राइंग रूम में निधि के पिता बैठे थे। निधि गुस्से में तिलमिलाई हुयी उनके पास पहुंची और बोली,
“कहाँ है केतन? लगता है उसका दिमाग खराब हो गया है। उसकी इतनी हिम्मत कैसे हुयी की आपसे अलग रहने का ख्याल भी आया उसे?”
निधि के पिता हैरान होकर उसके मुंह की तरफ देखने लगे। फिर कुछ चिंतित सी आवाज में बोले,
“निधि, बेटा ये क्या बोल रही हो तुम? किसने कहा तुमसे कि केतन हमसे अलग होने वाला है?”
इतनी देर में केतन की पत्नी किचन से निकल कर बाहर आयी।
पिता जी के सवाल और केतन की पत्नी को देखा कर निधि एक पल के लिए मानों शून्य में चली गयी। उसे समझ नहीं आया ये सब सच में हो रहा था या उसे कोई बहुत बड़ी ग़लतफ़हमी हो गयी थी। तभी उसने देखा की राज अभी तक वहां नहीं पहुंचा था। इसलिए जैसे ही उसने घूम कर दरवाजे की तरफ देखा। उसने राज को वहां खड़ा पाया। इस से पहले की वो कुछ पूछती। राज पहले ही बोल पड़ा, “मैंने झूठ बोला था।”
निधि ने कहा:- “लेकिन क्यों?”
अब तो निधि के साथ उसके पिता और केतन की पत्नी भी समझना चाहती थी कि आखिर हो क्या रहा है। इतनी देर में निधि की माँ भी अपने बेडरूम से निकल कर बाहर आ गयी।
राज ने कहा:- “क्योंकि मेरे माँ-बाप भी गलत नहीं हो सकते। मैं भी उनके साथ बचपन से रहा हूँ। जरूर गलती तुम्हारी रही होगी।”
निधि सब समझ चुकी थी। उसे अहसास हो चुका था। निधि की आखें आंसुओं से भर चुकी थीं और वो कांपती हुयी आवाज में बोली, हम आज ही माँ-बाऊ जी को घर ले आयेंगे।
राज ने कहा:- लेकिन वो गए ही कहाँ हैं?
निधि, क्या मतलब?
राज ने कहा:- मुझे पता था तुम्हें रिश्तों की अहमियत जल्द ही समझ आ जायेगी। इसलिए मैं उन्हें बड़ी दीदी के यहाँ छोड़ दिया था। तुम्हारे घर जाने से पहले वो घर पहुँच जायेंगे।
निधि, आप भी ना….
फिर निधि ने राज को गले से लगा लिया। फिर दोनों अपने घर को चल पड़े।
कभी – कभी करीबी रिश्तों में भी आपसी मतभेद की वजह से कड़वाहट पैदा हो जाती है, तो कई बार रिश्तों के टूटने तक की नौबत आ जाती है। रिश्ते बड़े नाजुक होते हैं, इसलिए हमें अपने रिश्तों को मजबूत बनाने के लिए प्रयास करना चाहिए और इनकी अहमियत को समझना चाहिए।
“जीवन में रिश्ता होना जरुरी है लेकिन उस रिश्ते में जीवन होना जरुरी है।”